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कैसे बचें : Impulsive/FOMO शॉपिंग से बचें

fear of missing out shopping phobia

भारत में impulse buying एक बढ़ता हुआ चलन है। एक अध्ययन में, 79% भारतीयों ने स्वीकार किया कि वे सही मौका और डिस्काउंट मिलने पर खरीदारी करने के लिए तैयार रहते हैं। यह बचत के लिए प्रसिद्ध भारतीय संस्कृति में एक दिलचस्प बदलाव है।

online shopping और easy credit options भी इस चलन को बढ़ावा दे रहे हैं। हालांकि, यह जरूरी है कि आप समझदारी से खरीदारी करें! चलिए विस्तार से impulse buying के बारें में जानते हैं ।

आवेगपूर्ण खरीदारी (Impulsive Shopping) क्या है?

आवेगपूर्ण खरीदारी (Impulsive Shopping) एक ऐसी स्थिति है जिसमें कोई व्यक्ति बिना सोचे समझे, योजना बनाए या अपनी जरूरतों का आकलन किए खरीदारी कर लेता है। यह अक्सर भावनाओं (खुशी, उत्साह, या उदासी) या ट्रेंड या दूसरों को देखकर खरीदारी करने की इच्छा से प्रेरित होता है।

FOMO shopping, जो impulsive buying का ही एक रूप है, यह एक ऐसी स्थिति है जहां आप किसी चीज़ को खरीद लेते हैं सिर्फ इसलिए कि आप उसे चूकना नहीं चाहते (Fear Of Missing Out) ।

आप किसी नई deal को miss करने के डर से जल्दबाजी में खरीदारी कर सकते हैं, भले ही आपको उस चीज़ की वास्तव में ज़रूरत न हो। सोशल मीडिया भी FOMO को बढ़ावा देता है, क्योंकि आप लगातार देखते हैं कि लोग क्या खरीद रहे हैं और कौन-सी नई चीज़ें ट्रेंड में हैं।

आज की पीढ़ी FOMO buying या Impulsive Buying क्यों करती है?

आज की पीढ़ी FOMO buying या Impulsive Buying कई कारणों से करती है, जिनमें से कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

  • Social media मीडिया का प्रभाव: सोशल मीडिया ने लोगों को दूसरों के जीवन और खरीदारी की आदतों से लगातार जुड़े रहने का एक तरीका प्रदान किया है। लगातार लोगों को दूसरों को दिखाने वाली चीजें खरीदते हुए देखना, FOMO (Fear of Missing Out) या “यह सौदा छूट जाएगा” जैसी भावनाओं को जन्म दे सकता है, जिसके कारण लोग बिना सोचे समझे खरीदारी कर लेते हैं।
  • विज्ञापन और मार्केटिंग: विज्ञापन और मार्केटिंग रणनीतियां अक्सर लोगों को FOMO का उपयोग करके खरीदारी करने के लिए प्रेरित करती हैं। “सीमित समय का ऑफ़र” या “अब ही खरीदें” जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके, कंपनियां लोगों को यह विश्वास दिलाने का प्रयास करती हैं कि यदि वे तुरंत खरीदारी नहीं करते हैं तो वे कुछ महत्वपूर्ण खो देंगे।
  • सुविधाजनक खरीदारी: ऑनलाइन शॉपिंग और मोबाइल पेमेंट जैसी तकनीकों ने खरीदारी को पहले से कहीं अधिक आसान और सुविधाजनक बना दिया है। लोग अब कभी भी, कहीं से भी कुछ भी खरीद सकते हैं, जिससे आवेगपूर्ण खरीदारी की संभावना बढ़ जाती है।
  • तत्काल संतुष्टि की इच्छा: आज की पीढ़ी में तत्काल संतुष्टि की इच्छा बहुत अधिक होती है। वे चाहते हैं कि उन्हें जो कुछ भी चाहिए वह उन्हें तुरंत मिल जाए, और वे इसे प्राप्त करने के लिए इंतजार करने को तैयार नहीं होते हैं। यह उन्हें बिना सोचे समझे खरीदारी करने के लिए प्रेरित कर सकता है।
  • आत्म-सम्मान की कमी: कुछ लोग कम आत्मसम्मान वाले होते हैं और वे दूसरों से खुद को बेहतर महसूस कराने के लिए खरीदारी करते हैं। वे नवीनतम फैशन या gadgets खरीदकर दूसरों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं, भले ही वे उन्हें वास्तव में ज़रूरत न हो।
  • भावनात्मक ट्रिगर: तनाव, चिंता, उदासी, या बोरियत जैसी भावनाएं लोगों को आवेगपूर्ण खरीदारी के लिए प्रेरित करती हैं।
  • आर्थिक शिक्षा की कमी: कई युवा लोगों को वित्तीय प्रबंधन और बजटिंग के बारे में पर्याप्त शिक्षा नहीं मिलती है। इससे उन्हें अपनी खर्च करने की आदतों को नियंत्रित करने में कठिनाई हो सकती है और वे आवेगपूर्ण खरीदारी कर सकते हैं।
  • आत्म-नियंत्रण की कमी: कुछ लोगों में आत्म-नियंत्रण की कमी होती है, जिसके कारण वे अपनी खर्च करने की आदतों को नियंत्रित करने में असमर्थ होते हैं।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि FOMO buying या Impulsive Buying हर किसी के साथ कभी न कभी होती है। लेकिन अगर यह एक आदत बन जाती है, तो यह गंभीर वित्तीय समस्याओं का कारण बन सकती है। याद रखें, समझदारी से खरीदारी करने से आप पैसे बचा सकते हैं और एक बेहतर वित्तीय स्थिति बना सकते हैं।

FOMO/Impulsive buying से बचने के प्रभावी तरीके

  • 24 घंटे का नियम लागू करें : जब आपको कोई चीज़ खरीदने का मन करे, तो उसे तुरंत खरीदने का फैसला न करें। अपने आप को रोकें और 24 घंटे का इंतजार करें. इस दौरान, सोचें कि क्या ये चीज़ वाकई में जरूरी है । 24 घंटे बाद, अगर आपको अभी भी वही चीज़ चाहिए, तो फिर खरीदें ।
  • “WishList” बनाएं: जब आपको कोई आकर्षक चीज़ दिखे, तो उसे तुरंत खरीदने के बजाय अपनी “WishList” में डाल दें । कुछ समय बाद, इस लिस्ट को देखें और विश्लेषण करें कि क्या ये चीज़ें अभी भी आपको उतनी ही जरूरी लगती हैं, इससे आप समझदारी से खरीदारी करने के लिए प्रेरित होंगे ।
  • खाली समय में Window Shopping न करें : अक्सर खाली समय में Window Shopping करने से अनावश्यक चीज़ें खरीदने की इच्छा पैदा हो जाती है । खासकर ecommerce websites , shopping malls या मार्केट का वातावरण आवेगपूर्ण खरीदारी को बढ़ावा देता है । खाली समय में ऐसी websites/जगहों पर जाने से बचें और अपने आप को व्यस्त रखें ।
  • अपनी जरूरतों पर ध्यान दें (Focus on Needs, Not Wants) : किसी भी चीज़ को खरीदने से पहले खुद से ये सवाल पूछें, अगर इन सवालों के जवाब न हैं तो ये खरीदारी आपके लिए सही नहीं है ।
    • क्या मुझे वाकई में इसकी ज़रूरत है या सिर्फ अच्छा लगने के कारण लेना चाहती/चाहता हूँ?
    • क्या ये चीज़ सिर्फ दूसरों को दिखाने के लिए ली जा रही है?
    • क्या मेरे पास पहले से ही ऐसी कोई चीज़ मौजूद है जो इस काम को कर सकती है?
    • क्या यह मेरा बजट बिगाड़ेगा?
    • क्या मैं इस पैसे को किसी और चीज़ पर खर्च करना बेहतर समझता/समझती हूँ?
  • सोशल मीडिया को इस्तेमाल सीमित करें : सोशल मीडिया पर लगातार brands और प्रभावशाली लोगों द्वारा किए गए प्रचार का असर आप पर पड़ सकता है । ये प्रचार आपको उन चीज़ों को खरीदने के लिए लुभा सकते हैं जिनकी आपको वास्तव में ज़रूरत नहीं है। सोशल मीडिया पर खासकर खरीदारी से जुड़ी चीज़ों को देखने में कम समय व्यतीत करें ।
  • दोस्तों को साथ न ले जाएं : ऐसे दोस्तों के साथ खरीदारी करने से बचें जो आपको अपने फैसलों पर संदेह कराते हैं या जरूरत से ज्यादा खर्च करने के लिए उकसाते हैं ।
  • credit card के इस्तेमाल से बचें : credit card का इस्तेमाल करने से आवेगपूर्ण खरीदारी की संभावना बढ़ जाती है क्योंकि आपको खर्च किए गए पैसे का वास्तविक अहसास नहीं होता। कोशिश करें कि खरीदारी करते समय डेबिट कार्ड या नकद का इस्तेमाल करें । इससे आपको अपनी खर्च करने की आदतों पर नज़र रखने में मदद मिलेगी ।
  • विज्ञापनों और डिस्काउंट के झांसे में ना आएं: विज्ञापनों और डिस्काउंट अक्सर FOMO को ट्रिगर करते हैं। इन पर ध्यान ना दें।

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