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कैसे सिखाएं : बच्चों को क्षमा मांगने की कला

teach the art of saying sorry

बच्चों को क्षमा मांगने की कला सिखाना उनकी सामाजिक और भावनात्मक विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, यह कला उनके चरित्र निर्माण और रिश्तों को मज़बूत करने की दिशा में एक अहम कदम है।

बच्चे जब अपनी गलती समझने लगते हैं , तब उन्हें दूसरों का दर्द समझना आ जाता है और वो ज़िम्मेदारी लेना सीखने लगते हैं। कुल मिलाकर, ये एक ऐसा ज़रूरी हुनर है जो उन्हें बेहतर इंसान बनाता है। आइए देखें कैसे आप अपने बच्चों को क्षमा मांगने का हुनर सिखा सकते हैं ।

क्षमा मांगने के कौशल के लाभ

  • मजबूत रिश्ते (Strong Relations) : माफी मांगना दूसरों के साथ सम्मानजनक रिश्ते बनाने की नींव रखता है। यह दिखाता है कि बच्चा अपनी गलतियों को स्वीकार करने और रिश्ते को सुधारने के लिए तैयार है। माफी मांगने से गलती करने वाले को माफी मिलने और रिश्ते में आई खटास दूर होने का रास्ता खुलता है।
  • दूसरों का दर्द समझना (Empathy) : माफी मांगने की प्रक्रिया में बच्चे को यह समझना होता है कि उसकी गलती से सामने वाले को कैसा लगा होगा। इससे सहानुभूति का भाव विकसित होता है। बच्चा यह सीखता है कि सिर्फ अपने बारे में न सोचकर सामने वाले के नजरिए से भी सोचे। यही सहानुभूति भाव ही भविष्य में उसे एक अच्छा इंसान बनाता है।
  • जिम्मेदारी लेना(Take Responsibility): माफी मांगने का मतलब है अपनी गलती स्वीकार करना। यह बच्चों में जिम्मेदारी लेने का भाव जगाता है। वे समझते हैं कि उनके कार्यों के नतीजे होते हैं और अपनी गलतियों के लिए उन्हें जवाबदेह होना पड़ता है। यही जिम्मेदारी का भाव भविष्य में उन्हें और अधिक परिपक्व बनाता है।
  • समस्या का समाधान (Conflict Resolution): ज़िंदगी में असहमति और झगड़े होना आम बात है। जब बच्चा माफी मांगता है, तो इससे तनाव कम होता है और बातचीत करने का रास्ता खुलता है। भविष्य में किसी भी तरह के झगड़े या गलतफहमी की स्थिति में वे माफी मांगने का सहारा लेकर समस्या को आसानी से सुलझा पाएंगे।

क्षमा मांगने के कौशल किस उम्र में सीखाना शुरू करें ?

बच्चों को माफी मांगने की कला जितनी जल्दी सिखाना शुरू करें, उतना ही अच्छा है। हालांकि, अलग-अलग उम्र में बच्चों को समझाने की क्षमता अलग-अलग होती है, इसलिए आप इनको ध्यान में रखकर शुरुआत कर सकते हैं:

  • 2-3 साल: इस उम्र में बच्चे भावनाओं को तो समझते हैं, लेकिन उन्हें शब्दों में बयान करना मुश्किल होता है। इस दौरान माफी मांगने के लिए ज़ोर ना दें, लेकिन आप उन्हें सही राह दिखा सकते हैं।
  • 4-5 साल: इस उम्र में बच्चे थोड़ा जटिल चीज़ें समझने लगते हैं। आप उन्हें सहानुभूति सिखाना शुरू कर सकते हैं और यह बता सकते हैं कि उनकी गलती से दूसरे को कैसा लगा होगा।
  • 6 साल से ऊपर: इस उम्र में ज़्यादातर बच्चे माफी मांगने का मतलब समझ जाते हैं। आप उनसे उम्मीद कर सकते हैं कि वो माफी मांगते वक्त पछतावा, गलती स्वीकार करना और सुधार का वादा जैसी बातें शामिल करें।

याद रखें, माफी मांगना सिर्फ शब्द नहीं बल्कि एक सीखने की प्रक्रिया है। बच्चों को बार-बार अभ्यास कराने और उन्हें सकारात्मक माहौल देने से ही यह सीख मजबूत होगी।

क्षमा मांगने का हुनर कैसे सिखायें ?

बच्चों को माफी मांगने की कला सिखाना उनके चरित्र निर्माण और रिश्तों को मज़बूत करने की दिशा में एक अहम कदम है, इसलिए निम्न बातों का ध्यान रखें :

  • माफी मांगने का सही ढंग: माफी मांगने के लिए सिर्फ “sorry” बोल देना काफी नहीं होता। यह एक सोची-समझी प्रक्रिया है जिसमें तीन चीज़ें शामिल होनी चाहिए:
    • पछतावा जताना: बच्चों को सिखाएं कि माफी मांगते वक्त उन्हें यह बताना चाहिए कि उन्हें अपनी गलती का पछतावा है। “मुझे माफ करना” या “मुझे बुरा लग रहा है…” जैसे वाक्य इस्तेमाल कर सकते हैं।
    • गलती स्वीकारना: माफी मांगते वक्त यह ज़रूरी है कि बच्चे अपनी गलती स्वीकार करें। उदाहरण के लिए, “मैंने तुम्हारा खिलौना तोड़ दिया” या “मुझे तुम पर चिल्लाना नहीं चाहिए था।”
    • सुधार का वादा: माफी मांगने के साथ-साथ यह भी ज़रूरी है कि बच्चे भविष्य में सुधार करने का वादा करें। “मैं आगे ऐसा नहीं करूंगा” या “मैं तुम्हारा खिलौना ठीक कर दूंगा” जैसे वाक्य कह सकते हैं।
  • ज़िम्मेदारी स्वीकारना और सुधार की सीख: गलती करना मानवीय स्वभाव है, लेकिन ज़रूरी है कि गलती स्वीकार करने और माफी मांगने की आदत बच्चों में बचपन से ही डाल दें। जब भी कोई गलती हो, तो बच्चों को यह समझाएं कि माफी मांगने के लिए ज़रूरी नहीं कि वो जानबूझकर की गई हो। गलती से भी चोट पहुंच सकती है और ऐसे में माफी मांगना ज़रूरी है।
    • अगर आपने कुछ गलत किया है तो आपको उनसे माफी मांगनी चाहिए। इससे उन्हें अपने कार्यों के लिए ज़िम्मेदार होने की बेहतर समझ मिलेगी। साथ ही, यह उन्हें सिखाएगा कि हमें अपनी उम्र की परवाह किए बिना अपनी गलतियों को स्वीकार करना चाहिए, उन्हें यह भी समझायें की दूसरों पर दोष मढ़ना गलत है।
  • सहानुभूति का विकास: माफी मांगने का सिर्फ मतलब “sorry” कहना नहीं है। यह उससे कहीं ज़्यादा है। माफी का असली मर्म है सामने वाले के भावनाओं को समझ पाना। बच्चों के साथ मिलकर परिस्थितियों का अभिनय करें। उन्हें वह किरदार निभाने दें जिससे गलती हुई और फिर सामने वाले का किरदार निभाते हुए पूछें कि उन्हें कैसा लगा। इससे बच्चे दूसरों के नज़रिए से सोचना सीखेंगे।
  • उन्हें सही और गलत की समझ सिखाएं : बच्चों के लिए यह जानना ज़रूरी है कि सही और ग़लत में अंतर कैसे किया जाए। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, उसमें स्वाभाविक रूप से यह भावना विकसित होती है लेकिन उन्हें सही दिशा में निर्देशित करने की आवश्यकता होती है। माता-पिता के रूप में, आपको बाहरी प्रभावशाली लोगों पर कड़ी नजर रखनी चाहिए।
  • अभ्यास और सकारात्मक माहौल:माता-पिता के रूप में, जब आपका बच्चा बुरा व्यवहार/ गलती करता है तो ऐसी परिस्थितियों में अपने क्रोध पर नियंत्रण रखें और धैर्य के साथ उन्हें उनकी गलती का एहसास करायें और माफ़ी मांगने के लिए कुछ समय दें। उन्हें तुरंत माफ़ी मांगने के लिए मजबूर न करें ।

याद रखें, बच्चों को माफी मांगना सिखाने में धैर्य और प्यार की ज़रूरत होती है। उन्हें यह समझाएं कि माफी मांगने से रिश्ते मज़बूत होते हैं और सामने वाले को यह एहसास होता है कि उनकी भावनाओं को समझा गया है।


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