ब्राह्मी रोज खाने के फायदे और नुकसान ?
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आयुर्वेदिक जड़ी-बूटि: ब्राह्मी (बनाम गोटू कोला) क्या होता है ?
ब्राह्मी (Centella asiatica) या गोटू कोला (Bacopa monnieri), मूल रूप से एक ही जड़ी-बूटी हैं, यह केवल एक अलग परिवार है।
दोनों मिट्टी के पौधे हैं जिनका प्रभाव लगभग समान है। भ्रमित करने वाली एकमात्र चीज़ नामों का अलग-अलग उपयोग है। दक्षिणी और पूर्वी भारत में Bacopa monnieri पौधे को ब्राह्मी कहा जाता है, उत्तरी और पश्चिमी भारत में इसे Centella asiatica कहा जाता है, जिसे ब्रिटिश नाम गोटू कोला के नाम से जाना जाता है। Centella asiatica भारत, इंडोनेशिया, मेडागास्कर और चीन में उगता है, जबकि Bacopa monnieri समान स्थानों में, बल्कि अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में भी उगता है। मामले को बदतर बनाने के लिए, इनमें से प्रत्येक जड़ी-बूटी के दो और लैटिन नाम हैं, Centella asiatica – Hydrocotyle asiatica का पर्याय है और Bacopa monnieri – Herpestes monniera का पर्याय है।
ब्राह्मी रोज खाने के फायदे
- Centella asiatica और Bacopa monnieri दोनों में दिमाग को खोलने और शुद्ध करने, मानसिक सतर्कता बढ़ाने, स्पष्ट सोच, एकाग्रता को बढ़ावा देने और मस्तिष्क कोशिकाओं को पुनर्जीवित करने की क्षमता है। वे सभी ऊतकों को फिर से जीवंत और मजबूत करने, रक्त परिसंचरण में सुधार करने और रक्त वाहिकाओं को फैलाने, तंत्रिका तंत्र के समग्र प्रतिरोध को बढ़ाने और आंदोलन, तनाव, अवसाद और तंत्रिका तनाव में शामक के रूप में कार्य करने के लिए एक महत्वपूर्ण Antioxidant के रूप में कार्य करते हैं।
- ब्राह्मी (Brahmi) और ब्लड प्रेशर (blood pressure) के संबंध पर अभी शोध जारी है, लेकिन कुछ मिली-जुली जानकारी मिलती है |
- जानवरों पर अध्ययन: कुछ जानवरों पर किए गए अध्ययनों में पाया गया है कि ब्राह्मी ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद कर सकती है. ऐसा माना जाता है कि ब्राह्मी रक्त वाहिकाओं को फैलाने में मदद करती है, जिससे रक्त प्रवाह बेहतर होता है और ब्लड प्रेशर कम होता है.
- मानव अध्ययन सीमित: हालांकि, मानवों पर किए गए अध्ययन अभी तक सीमित हैं. कुछ अध्ययनों में ब्लड प्रेशर कम होने का संकेत मिला है, तो वहीं कुछ अध्ययनों में कोई प्रभाव नहीं देखा गया.
- तनाव कम करना: ब्राह्मी तनाव (stress) को कम करने में मदद कर सकती है, जो उच्च रक्तचाप (high blood pressure) का एक कारक हो सकता है.
- निष्कर्ष: अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि ब्राह्मी सीधे तौर पर ब्लड प्रेशर को कम करती है या नहीं. अगर आप उच्च रक्तचाप से ग्रस्त हैं और ब्राह्मी लेना चाहते हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है.
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से, इन पौधों में शरीर के सभी दोषों: वात, पित्त और कफ को शांत करने की क्षमता होती है। Centella asiatica और Bacopa monnieri अत्यधिक सात्विक जड़ी-बूटियाँ मानी जाती हैं।
सात्विक भोजन शरीर और आत्मा को समान रूप से पोषण देता है और हल्कापन, स्वास्थ्य और शांति लाता है। इनका उपयोग मन की सतर्कता और सूक्ष्मता बढ़ाने की क्षमता के लिए ध्यान को बढ़ावा देने के लिए भी किया जाता है। पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा में, ब्राह्मी पौधे में सिर के शीर्ष पर स्थित ऊर्जा केंद्र, क्राउन चक्र के कार्य का समर्थन करने और मस्तिष्क के दाएं और बाएं गोलार्धों की गतिविधि में सामंजस्य स्थापित करने की क्षमता होती है। आयुर्वेद भी दिल और दिमाग के बीच घनिष्ठ संबंध मानता है और इसलिए ब्राह्मी के दोनों रूपों को मजबूत हृदय टॉनिक के रूप में भी जाना जाता है
पश्चिमी देशों में, दोनों पौधे एक लोकप्रिय मस्तिष्क और मानसिक टॉनिक हैं, खासकर छात्रों और उपरोक्त Alzheimer’s, Parkinson’s रोग या मिर्गी जैसे गंभीर मस्तिष्क विकारों से पीड़ित लोगों के लिए प्रयोग किया जाता है।
ब्राह्मी के कुछ संभावित नुकसान
- पेट से जुड़ी समस्याएं: जिन लोगों को पहले से ही पेट में अल्सर (ulcer) है, उन्हें ब्राह्मी का सेवन करते समय सावधानी बरतनी चाहिए. कुछ मामलों में ब्राहमी दस्त (diarrhoea) या पेट दर्द (stomach ache) का कारण बन सकती है. अगर आपको अल्सर है तो ब्राह्मी का सेवन घी के साथ करने की सलाह दी जाती है.
- अतिरिक्त सेवन: किसी भी चीज की तरह, ब्राह्मी का भी जरूरत से ज्यादा सेवन नुकसानदेह हो सकता है. ब्राह्मी को निर्धारित मात्रा में ही लेना चाहिए.
- ** गर्भावस्था और स्तनपान:** गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को ब्राह्मी का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए, क्योंकि अभी तक इस पर पर्याप्त शोध नहीं हुआ है.
- दवाओं के साथ परस्पर प्रभाव: ब्राह्मी कुछ दवाओं, जैसे कि थायराइड की दवाओं, ब्लड प्रेशर की दवाओं आदि के साथ परस्पर क्रिया कर सकती है. इसलिए अगर आप कोई दवा ले रहे हैं तो ब्राह्मी का सेवन करने से पहले डॉक्टर से जरूर पूछें.
सामान्य तौर पर स्वस्थ व्यक्ति के लिए ब्राह्मी का सेवन सुरक्षित माना जाता है, लेकिन अगर आपको कोई संदेह है या कोई पहले से मौजूद बीमारी है, तो ब्राह्मी का सेवन करने से पहले डॉक्टर या आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना सबसे अच्छा है.
क्या ब्राह्मी की लत लग सकती है ?
नहीं, ब्राह्मी (Brahmi) को आम तौर पर नशे की लत (addictive) नहीं माना जाता है | ब्राह्मी में नशे के तत्वों का अभाव है, इसमें किसी भी तरह का रासायनिक पदार्थ नहीं होता जो दिमाग को प्रभावित कर के लत पैदा करे.
इसलिए ब्राह्मी का दीर्घकालिक सेवन करने से कोई लत नहीं लगती. इसलिए, आप लंबे समय तक ब्राह्मी का सेवन कर सकते हैं, बशर्ते आप निर्धारित मात्रा में ही इसका सेवन करें नहीं तो अन्य नुकसान हो सकते हैं |
ब्राह्मी का सेवन कितनी मात्रा में करना चाहिए ?
ब्राह्मी (Brahmi) की सही मात्रा कई कारकों पर निर्भर करती है, जिनमें शामिल हैं:
- आपकी उम्र: आयुर्वेद में आम तौर पर बच्चों को वयस्कों से कम मात्रा दी जाती है.
- आपका स्वास्थ्य: अगर आपको कोई पहले से मौजूद बीमारी है, तो मात्रा कम हो सकती है.
- ब्राह्मी का रूप: ब्राह्मी को पाउडर, कैप्सूल या तरल रूप में लिया जा सकता है, और हर रूप की अपनी अलग मात्रा हो सकती है.
सामान्यतः स्वस्थ वयस्क के लिए:
- पाउडर: 1-2 ग्राम (लगभग 1/2 से 1 चम्मच) दिन में दो बार.
- कैप्सूल: निर्माता के निर्देशों का पालन करें. आमतौर पर 250-500 मिलीग्राम की खुराक दिन में दो बार ली जाती है.
लेकिन यह सिर्फ एक सामान्य मात्रा है. ब्राह्मी की सही मात्रा जानने के लिए सबसे अच्छा तरीका है कि आप किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करें. वो आपकी उम्र, स्वास्थ्य और जरूरतों के हिसाब से सही मात्रा बता सकते हैं.
कुछ लोग ब्राह्मी का सेवन सुबह उठकर खाली पेट लेते हैं, ब्राह्मी (Brahmi) को सुबह खाली पेट लेने के कुछ संभावित नुकसान हो सकते हैं, खासकर अगर आपकी पाचन क्रिया (digestion) संवेदनशील है. आइए इन नुकसानों को जानते हैं:
- पेट में जलन (gastric irritation): ब्राह्मी एक जड़ी बूटी है और कुछ लोगों में खाली पेट जड़ी-बूटियां लेने से पेट में जलन या असुविधा हो सकती है.
- दस्त (diarrhoea): कुछ मामलों में, खाली पेट ब्राह्मी लेने से दस्त लग सकता है.
- पेट का अल्सर (ulcer) बिगड़ना: अगर आपको पहले से ही पेट का अल्सर है, तो खाली पेट ब्राह्मी लेने से अल्सर बिगड़ सकता है.
इन नुकसानों से बचने के लिए आप ये कर सकते हैं:
- ब्राह्मी को भोजन के साथ लें: भोजन के साथ ब्राह्मी लेने से पेट की जलन और दस्त की संभावना कम हो जाती है.
- छोटी मात्रा से शुरुआत करें: अगर आप पहली बार ब्राह्मी ले रहे हैं, तो छोटी मात्रा से शुरुआत करें और धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाएं.
- पानी के साथ लें: ब्राह्मी को हमेशा पर्याप्त मात्रा में पानी के साथ लें.
कुछ मामलों में:
- घी के साथ लें: अगर आपको पहले से ही पेट का अल्सर है, तो ब्राह्मी को घी के साथ लेने की सलाह दी जाती है. घी पेट की परत को सुरक्षा प्रदान करता है.
सामान्य तौर पर स्वस्थ व्यक्ति के लिए सुबह खाली पेट ब्राह्मी लेना कोई बड़ी समस्या नहीं है, लेकिन अगर आपको कोई परेशानी होती है तो आप किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लें.